देश की माटी नहीं चंदन से कम

देश की माटी नहीं चंदन से कम चंदन से कम जन्म जितनी बार भी लूँ लूँ इसी भू पर जनम   सच कहो हर रोज़ इक त्यौहार देखा है कहीं स्वर्ग का वैभव तो इसके सामने कुछ भी नहीं हर दिशा उच्चारती सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् देश की माटी नहीं चंदन से कम चंदन से कम   पेड़, … Continue reading देश की माटी नहीं चंदन से कम